मुस्लिम महिला खतना क्या है

पूरे होश में दर्द से चीखती बच्चियां...





लड़कियों का खतना किशोरावस्था से पहले यानी छह-सात साल की छोटी उम्र में ही करा दिया जाता है. इसके कई तरीके हैं.

जैसे क्लिटरिस के बाहरी हिस्से में कट लगाना, या इसके बाहरी हिस्से की त्वचा निकाल देना.
👉     खतना से पहले एनीस्थीसिया भी नहीं दिया जाता. बच्चियां पूरे            होशोहवास में रहती हैं और दर्द से चीखती हैं.
👉     पारंपरिक तौर पर इसके लिए ब्लेड या चाकू का इस्तेमाल करते हैं और खतना के बाद हल्दी, गर्म पानी और छोटे-मोटे मरहम लगाकर दर्द कम करने की कोशिश की जाती है.
👉        बोहरा मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाली इंसिया दरीवाला के मुताबिक 'क्लिटरिस' को बोहरा समाज में 'हराम की बोटी' कहा जाता है.

👉       बोहरा मुस्लिम मानते हैं कि इसकी मौजूदगी से लड़की की यौन इच्छा बढ़ती है.

👉        इंसिया दरीवाला ने कहा, "माना जाता है कि क्लिटरिस हटा देने से लड़की की यौन इच्छा कम हो जाएगी और वो शादी से पहले यौन संबंध नहीं बनाएगी."

⚠️ 'ये बाल शोषण है'

👉          इंसिया ख़ुशकिस्मत हैं क्योंकि उनकी मां ने उन्हें ये दर्द झेलने से बचा लिया था.

👉         वो बताती हैं, "मेरी मां ने मुझे तो बचा लिया लेकिन वो मेरी बड़ी बहन को नहीं बचा पाईं. परिवार की ही एक महिला ने उसे फ़िल्म दिखाने के बहाने उसका ख़तना करवा दिया था."

👉           उनकी बड़ी बेटी का खतना धोखे से कराया गया और जब उन्होंने उसे दर्द में तड़पते देखा तो ठान लिया कि अपनी छोटी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने देंगी.

👉          इंसिया कहती हैं, मैं अपने समुदाय की औरतों की तकलीफ़ से वाकिफ़ हूं इसलिए आज इस क्रूर प्रथा के ख़िलाफ़ खुलकर आवाज़ उठा रही हूं."

👉          40 साल की निशरीन भी दो बच्चियों की मां हैं और उन्होंने तय किया है कि वो उनका खतना नहीं करवाएंगी.

👉           उन्होंने कहा, "ये चाइल्ड अब्यूज़ जैसा है. मेरा खतना हुआ लेकिन मैं अपनी बेटियों का खतना नहीं होने दूंगी."

⚠️         'ख़तना करने की वजह बदल-बदलकर बताते हैं'
👉         निशरीन को बताया गया था कि खतना 'हाइजीन' यानी साफ़-सफ़ाई के मक़सद से किया जाता है लेकिन अब वो जानती हैं कि इसका हाइजीन से कोई लेना-देना नहीं है.

👉         इंसिया कहती हैं, "हमारे समुदाय के लोग खतना की वजहें बदल-बदलकर बताते रहते हैं. पहले वो कहते थे ये सफ़ाई के लिए है, फिर कहा कि लड़कियों की यौन इच्छा काबू में करने के लिए है और जब इसका विरोध हो रहा है तो कहते हैं यौन इच्छा बढ़ाने के लिए है."

👉         वो पूछती हैं, "अगर ये वाक़ई यौन इच्छा बढ़ाने के लिए है तो सात साल की लड़की का खतना कराके वो क्या हासिल करना चाहते हैं? छोटी बच्ची को सेक्स और यौन इच्छा से क्या मतलब? ज़ाहिर है, वो हमें बेवकूफ़ बना रहे हैं."

👉        भारत में एफ़जीएम के ख़िलाफ़ मुहिम शुरू करने वाली मासूमा रानालवी कहती हैं कि इनमें से एक भी दावों में सच्चाई नहीं है और खतना का औरतों की ज़िंदगी पर बुरा असर ही पड़ता है.

⚠️      ज़िंदगी भर रहता है ख़तने का दर्द'

👉           उन्होंने कहा, "खतना से औरतों को शारीरिक तकलीफ़ तो उठानी ही पड़ती है. इसके अलावा तरह-तरह की मानसिक परेशानियां भी होती हैं. उनकी सेक्स लाइफ़ पर भी असर पड़ता है और वो सेक्स एंजॉय नहीं कर पातीं."

👉         निशरीन मानती हैं कि बचपन में खतना होने के बाद लड़कियों के लिए किसी पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि अक्सर घर के लोग ही उन्हें बहला-फुसलाकर खतना कराने ले जाते हैं.

👉        उन्होंने कहा, "बचपन से पैदा हुआ ये अविश्वास लंबे वक़्त तक बना रहता है और किसी न किसी तरह औरतों की ज़िंदगियों पर असर डालता है."

👉       'सहियो' और 'वी स्पीक आउट' जैसी संस्थाएं भारत में एफ़जीएम को अपराध घोषित करने और इस पर बैन लगाने की मांग कर रही हैं.

👉       ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, बेल्जियम, यूके, अमरीका, स्वीडन, डेनमार्क और स्पेन जैसे कई देश इसे पहले ही अपराध घोषित कर चुके हैं.

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