इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला को मिली “वेश्या बनने की सजा

 इतिहास की सबसे खूबसूरत महिला को मिली “वेश्या बनने की सजा

योजना बन रही थी! युवक भिक्षु के बुद्ध के पास पहुँचने से पहले ही कई भिक्षु वहां पहुँच गए और उन्होंने इस वृत्तांत को बढ़ा-चढ़ाकर सुनाया – “वह स्त्री वैश्या है और एक भिक्षु वहां पूरे चार महीनों तक कैसे रह सकता है!?”
बुद्ध ने कहा – “शांत रहो, उसे आने दो। अभी उसने रुकने का निश्चय नहीं किया है, वह वहां तभी रुकेगा जब मैं उसे अनुमति दूंगा।”
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युवक भिक्षु आया और उसने बुद्ध के चरण छूकर सारी बात बताई – “आम्रपाली यहाँ की नगरवधू है।
उसने मुझे चातुर्मास में अपने महल में रहने के लिए
कहा है। सारे भिक्षु किसी-न-किसी के घर में रहेंगे।
मैंने उसे कहा है कि आपकी अनुमति मिलने के बाद ही
मैं वहां रह सकता हूँ।”
बुद्ध ने उसकी आँखों में देखा और कहा – “तुम वहां
रह सकते हो।”
यह सुनकर कई भिक्षुओं को बहुत बड़ा आघात पहुंचा। वे सभी इसपर विश्वास नहीं कर पा रहे थे कि
बुद्ध ने एक युवक शिष्य को एक वैश्या के घर में
चार मास तक रहने के लिए अनुमति दे दी। तीन दिनों
के बाद युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में रहने के
लिए चला गया। अन्य भिक्षु नगर में चल रही बातें
बुद्ध को सुनाने लगे – “सारे नगर में एक ही चर्चा हो
रही है कि एक युवक भिक्षु आम्रपाली के महल में
चार महीनों तक रहेगा!”
बुद्ध ने कहा – “तुम सब अपनी चर्या का पालन
करो। मुझे अपने शिष्य पर विश्वास है। मैंने उसकी
आँखों में देखा है कि उसके मन में अब कोई इच्छाएं
नहीं हैं। यदि मैं उसे अनुमति न भी देता तो भी उसे
बुरा नहीं लगता। मैंने उसे अनुमति दी और वह चला
गया। मुझे उसके ध्यान और संयम पर विश्वास है।
तुम सभी इतने व्यग्र और चिंतित क्यों हो रहे हो?
यदि उसका धम्म अटल है तो आम्रपाली भी उससे
प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगी। और यदि उसका धम्म
निर्बल है तो वह आम्रपाली के सामने समर्पण कर
देगा। यह तो भिक्षु के लिए परीक्षण का समय है।
बस चार महीनों तक प्रतीक्षा कर लो, मुझे उसपर
पूर्ण विश्वास है। वह मेरे विश्वास पर खरा
उतरेगा।”
उनमें से कई भिक्षुओं को बुद्ध की बात पर विश्वास
नहीं हुआ। उन्होंने सोचा – “वे उसपर नाहक ही इतना
भरोसा करते हैं। भिक्षु अभी युवक है और आम्रपाली
बहुत सुन्दर है। वे भिक्षु संघ की प्रतिष्ठा को खतरे
में डाल रहे हैं।” – लेकिन वे कुछ कर भी नहीं सकते
थे।
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चार महीनों के बाद युवक भिक्षु विहार लौट आया
और उसके पीछे-पीछे आम्रपाली भी बुद्ध के पास
आई। आम्रपाली ने बुद्ध से भिक्षुणी संघ में प्रवेश
देने की आज्ञा माँगी। उसने कहा – “मैंने आपके
भिक्षु को अपनी ओर खींचने के हर संभव प्रयास
किये पर मैं हार गयी। उसके आचरण ने मुझे यह
मानने पर विवश कर दिया कि आपके चरणों में ही
सत्य और मुक्ति का मार्ग है। मैं अपनी समस्त
सम्पदा भिक्षु संघ के लिए दान में देती हूँ। ”
आम्रपाली के महल और उपवनों को चातुर्मास में
सभी भिक्षुओं के रहने के लिए उपयोग में लिया जाने
लगा। आगे चलकर वह बुद्ध के संघ में सबसे प्रतिष्ठित भिक्षुणियों में से एक बनी।
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आम्रपाली के जीवन पर आचार्य चतुरसेन शास्त्री द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध उपन्यास “वैशाली की नगरवधू” भी आप में से बहुतों ने पढ़ा होगा।

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