Ex-मुस्लिम
इधर कुछ दिनों से Ex-मुस्लिम के चैनल सुनता रहता हूँ। मुझे सचमुच अंदाजा नहीं था कि इसने इस्लामिक जगत में इतना बड़ा तूफान ला दिया है। जो काम एक समय मे आर्यसमाजी करने निकले थे उसी काम को उनसे कई गुना ज्यादा प्रभावशाली तरीके से ये लोग अंजाम दे रहे हैं।
याद कीजिये जाकिर नाइक के सभाओं में ये लोग हिंदुओ को ही खड़े करते थे और उनसे कहलवाते थे कि ये पहले पंडित था अब मुस्लिम है , इनसे ही पूछते हैं कि इन्होंने इस्लाम क्यों अपनाया तो विश्वास कीजिये अच्छे अच्छे हिंदुओं का विश्वास हिल जाता है क्योंकि ये हमारे बीच का बंदा बोल रहा है।
ऐसे ही जब उनके ही कंम्यूनिटी से बंदा निकलकर कुछ बोल रहा है तो इसका प्रभाव व्यापक है.. आस्थाएं हिल जाती हैं।
ये जानकर और भी ज्यादा खुशी हुई कि पृरी दुनिया मे फैले EX मुस्लिमों के बीच सबसे ज्यादा प्रभावशाली और लोकप्रिय EX मुस्लिम... भारत के ही हैं।
हम और आप सोचेंगे कि ये इस्लाम छोड़ने की एक्का दुक्का घटनाएं होती हैं और इससे क्या प्रभाव पड़ता है लेकिन EX मुस्लिमों को सुनकर एक्का दुक्का लोग इस्लाम से विमुख नहीं हो रहे हैं बल्कि भारी तादाद है। कुछ ही समय मे ये लाखों की संख्या मे जा चुकी है। EX मुस्लिमों की अलग ही कंम्यूनिटी बन गयी है।
इनकी ताकत का पता इससे भी चलेगा कि बड़े बड़े मौलाना भी इनसे बहस करने हेतु नहीं आते। हमने तो लाइव टीवी में देखा कि भारत के मौलाना TV पर अपने साथ के पैनलिस्ट में एक EX मुस्लिम को देखकर भड़क गए.. हाथ पांव फूल गए.. एंकर को सीधे कहने लगे....
" ये कौन है... इसको यहां क्यों बिठाया... ? ये तो मुर्तद है... ये रहेगा तो हम उठ कर जा रहे हैं।"
जब मैंने इनके चैनल को सुनना शुरू किया तो सचमुच.. जो सामान्य मुस्लिम होते हैं, जो बड़े बड़े जानकार होते हैं, सबको हार मानते देखा... हालात ये है कि लाइव बहस में ही कितने इस्लाम छोड़ देते हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा संख्या उनकी जो कहते हैं कि...
"मैं आपकी बात मानता हूं लेकिन खुले में स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि मुझे घर से, समाज से निकाल दिया जाएगा और जानलेवा हमले भी हो सकते हैं।"
ऐसे लोगों को ex मुस्लिम की सलाह दी जाती है कि
"आप मान चुके हैं कि हम सही हैं, और आपने इस्लाम मे विश्वास भी खत्म कर ली है तो आराम से रहिए, ,किसी को बताइए मत क्योंकि अभी कोई और चारा नहीं है। "
इस डिबेट में एक से एक अहंकारी का घमंड टूटते देख रहा हूँ। एक से एक पागलों को देख रहा हूं। एक से बढ़कर एक सनकी महिलाओं को देख रहा हूँ।
कभी कभी तो फुल कॉमेडी हो जाती है और कभी कभी तालियां बजाने का समय आ जाता है। ये फ़िल्म की तरह चल रही है। शुरुआत होती है इंटरवल तक डिबेट में गर्मी आती है, कॉमेडी होती है और फिर End में मानवता की जीत हो जाती है।
ये Ex मुस्लिम जिस तरह के विषय पर चर्चा कर रहे हैं, खुलेआम कर रहे हैं... बिना डरे... वो हम और आप लिखने बोलने की सोच भी नहीं सकते ...लेकिन सोशल मीडिया पर, यूट्यूब की ताकत है कि वहां पर ये allowed है।
फिलहाल तो .. ये Ex मुस्लिमों का अभियान आंदोलन की शक्ल में बढ़ने लगा है.. जरूरत है कि हम सब इनका समर्थन करें। कुछ नहीं तो सब्सक्राइब कर लें ताकि घर बार से विस्थापित कर दिए गए इन लोगों को दो चार पैसे वहीं से प्राप्त हो जाएं। एक तो ये लोग छुप कर ये सारा आंदोलन अंजाम देते हैं.. हर वक़्त मौत का खतरा होता है। दूसरे कमाई का साधन नहीं है क्युकि
बाहर निकलेंगे तो मारे जाएंगे.
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