यक्षिणी के प्रमुख प्रकार
जिस तरह धर्म ग्रंथों में, तेंतीस (33) देवता बताए गए हैं, उसी तरह चौसठ ( 64 ) यक्ष और यक्षिणियां भी होते हैं। इनमें से निम्न, आठ ( 8 ) यक्षिणियां प्रमुख मानी जाती हैं। इनके नाम और किस यक्षिणी की साधना करने से क्या फल मिलते हैं ------
1. सुर सुन्दरी यक्षिणी -----
यह यक्षिणी सिद्ध होने के बाद, साधक को ऐश्वर्य, धन, संपत्ति आदि प्रदान करती है।
2. मनोहारिणी यक्षिणी ------
ये यक्षिणी सिद्ध होने पर, साधक के व्यक्तित्व को , ऐसा सम्मोहक बना देती है कि, हर व्यक्ति उसके सम्मोहन पाश में बंध जाता है।
3. कनकावती यक्षिणी -------
कनकावती यक्षिणी को सिद्ध करने पर, साधक में तेजस्विता आ जाती है। यह साधक की हर मनोकामना को , पूरा करने में सहायक होती है।
4. कामेश्वरी यक्षिणी ------
यह साधक को , पौरुष प्रदान करती है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है।
5. रति प्रिया यक्षिणी -----
साधक और साधिका , यदि संयमित होकर । इस साधना को संपन्न कर लें तो निश्चय ही, उन्हें कामदेव और रति के समान सौन्दर्य मिलता है।
6. पद्मिनी यक्षिणी ------
यह अपने साधक को, आत्मविश्वास व स्थिरता प्रदान करती है और हमेशा उसे मानसिक बल प्रदान करती हुई, उन्नति कि ओर अग्रसर करती है।
7. नटी यक्षिणी ------
नटी यक्षिणी को, विश्वामित्र ने भी सिद्ध किया था। यह अपने साधक कि, पूर्ण रूप से सुरक्षा करती है।
8. अनुरागिणी यक्षिणी -------
साधक पर प्रसन्न होने पर, उसे नित्य धन, मान, यश आदि प्रदान करती है और साधक की इच्छा होने पर, उसकी सहायता भी करती है।
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