गणिका गणक समानधर्मा

 🚩🚩 हर हर महादेव 🚩🚩  

   ** गणिका गणक समानधर्मा,कूपं वृष्टिसमं यथा।  विप्रो विद्याहीनश्च,  शूद्रः किंचन् स शास्त्रतः।**


अर्थ: एक गणिका (वेश्या) और गणक (गणना करने वाला) समान कर्मों वाले होते हैं, जैसे एक कूप (कुआँ) और वर्षा का जल समान महत्व रखते हैं। इसी प्रकार, बिना विद्या वाला ब्राह्मण, शास्त्रों के अनुसार, शूद्र के समान होता है।  


यह श्लोक सामान्यतः नैतिकता और ज्ञान के महत्व को दर्शाने के लिए उद्धृत किया जाता है।

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