दिल्ली की स्वतंत्रता हेतु युद्ध छेड़ दिया

 "दिल्ली अभी बहुत दूर है" यह शब्द थे मुगल बादशाह मुहम्मद शाह के।

सन 1737 में मराठा सेना ने दिल्ली की स्वतंत्रता के लिये युद्ध छेड़ दिया था, उस समय मराठा साम्राज्य का ध्वज छत्रपति शाहूजी महाराज के हाथ मे था। शाहूजी का प्रतिनिधित्व उनके महान पेशवा बाजीराव कर रहे थे मराठा सेना ने कम संख्या में आगरा पर धावा बोला मगर मुगल बौखला गए और उन्होंने अपनी सेना भारी संख्या में आगरा भेज दी। RUDRA

आगरा में मराठो की पराजय हुई और मराठा सेनापति तथा इंदौर के महाराज मल्हारराव होल्कर पीछे होकर पेशवा के पास आ गए। मुगल मराठाओ की हार का जश्न मनाने लगे और आगरा में ही तैयारी शुरु हो गयी। तब मुगल बादशाह के एक कर्मठ मंत्री ने उसे कहा कि आगरा पर हमला युद्ध नही था युद्ध तो अब होगा। तब बादशाह मुहम्मद शाह ने यह कथन कहा था कि दिल्ली अभी दूर है।RUDRA

दरसल पेशवा बाजीराव उस समय ग्वालियर के निकट मराठा राजपूताना सीमा पर थे और जब मल्हार राव हारकर उनके पास पहुँचे तो पेशवा बाजीराव ने एक सशक्त सेना बल लेकर दिल्ली पर चढ़ाई का निर्णय लिया। गर्मी का दौर और सामने राजस्थान की भीषण गर्मी, 13 दिन का यह सफर पेशवा बाजीराव ने मात्र 3 दिन में पूरा कर लिया और चढ़ाई कर दी लाल किले पर।RUDRA

मराठे मात्र 70 हजार थे जबकि मुगल ढाई लाख, पेशवा के नेतृत्व में मराठो की एकतरफा विजय हुई। मुगल बादशाह लाल किले में छिप गया, मराठा सेना ने दिल्ली की मस्जिदों को उजाड़ना शुरू कर दिया मगर बादशाह बाहर नही आया, पूरा लाल किला छान मारा मगर मुगलो की राजमुद्रा भी मराठो के हाथ नही लगी। 3 दिन तक पेशवा बाजीराव ने दिल्ली में डेरा डाला, लाल किले के परिसर में ही उन्होंने गणेश मंदिर बनवाया और मुगलो से चौथ वसूलकर लौट आये।RUDRA

बाजीराव पुणे यात्रा पर थे तब ही भोपाल से थोड़ी दूर उन्हें हैदराबाद का निजाम मिला। निजाम ने पेशवा को दूर से राम राम करना उचित समझा। निजाम भोपाल से थोड़ी दूर जाकर मुगलो से मिला और उन्हें लेकर पुनः भोपाल लौटा। निजाम की योजना थी कि भोपाल में विश्राम करके सुबह पुणे पर हमला करेंगे।RUDRA

मगर पेशवा बाजीराव दूरदर्शी थे उन्होंने पहले ही भोपाल को मुस्लिम शासन से आजाद कर दिया और निजाम जैसे ही भोपाल पहुँचा मात्र 1 घण्टे में उसे मसल दिया। अब पेशवा बाजीराव ने समूचे मध्यप्रदेश पर अधिकार कर लिया और भोपाल की मुस्लिम रियासत भी अब उनके अधीन हो गयी। भोपाल के युद्ध मे भी पेशवा बाजीराव की सेना मुगलो से बहुत कम थी।RUDRA

दिल्ली और भोपाल के बाद पेशवा ने गोवा पर आक्रमण के लिये अपने भाई चिमाजी अप्पा को भेजा और पुर्तगालियों का भारत पर शासन करने का 250 वर्ष पुराना सपना सपना ही बना दिया। 1740 में पेशवा बाजीराव की मध्यप्रदेश में खरदौन के पास मृत्यु हो गयी। 1720 में जब बाजीराव पेशवा बने थे तब मराठा साम्राज्य में आज के भारत के 3 जिले शामिल थे मगर जब उनकी मृत्यु हुई तब मराठा साम्राज्य में आज के भारत के 3 राज्य महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात शामिल थे।RUDRA

आज पेशवा बाजीराव की 280वी पुण्यतिथि थी, महान पेशवा को शत शत नमन। चित्र में उनके द्वारा बनवाया गया पुणे स्थित शनिवारवाड़ा जो कि 1826 में पूरी तरह जल गया था।

"राष्ट्रहित सर्वोपरि" 💪💪

जय श्री राम 🙏RUDRA

हर हर महादेव 🔱🙏🚩

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